किसी भी देश के इतिहास का कोई सर्वस्वीकृत रूप नहीं मिलता। इसकी बजाय आपको अतीत के इतिहासकारों, वर्तमान शासकों, प्रतिद्वन्द्वी देशों, यात्रियों और विदेशी हितों के लिए काम करने वाले तथाकथित विद्वानों द्वारा लिखित इतिहास के अनेक रूप देखने को मिलेंगे। रूस और भारत जैसे विशाल देशों में इतिहास के इनमें से हर रूप को मानने वाले लोग पर्याप्त संख्या में मिलेंगे, जिसके कारण इतिहास से जुड़ा भ्रम और ज़्यादा बढ़ जाता है तथा यह बहस सच्चाई से और दूर चली जाती है।
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अमरीकी विदेश नीति के क्षेत्र में खर्च घटाने की नीति के तहत मार्च के शुरू में ही व्हाइट हाउस के बजट सम्बन्धी निदेशक मिक मलवेनी ने यह प्रस्ताव रखा था कि अमरीका के जिन सहयोगी देशों को हथियारों के रूप में सैन्य-सहायता दी जाती है, उन्हें उधार में हथियार ख़रीदने की सुविधा दी जाए। बहुत से अमरीकी राजनीतिज्ञों ने इस प्रस्ताव को आलोचना की निगाहों से देखा और अमरीकी मीडिया में इस मुद्दे को लेकर गरमा-गरम बहस शुरू हो गई। मलवेनी के इस प्रस्ताव के आलोचकों का कहना है कि यदि अमरीका के सहयोगी देशों को मुफ़्त में हथियार... Читать дальше...