भारत में बिजली का उत्पादन और वितरण करने वाली कम्पनी ‘टाटा पावर’ ने रूस के सुदूर पूर्व में स्थित कमचात्का प्रदेश में ‘क्रुतगोरवस्काया’ नामक कोयला खदान में कोयले की निकासी करने में दिलचस्पी दिखाई है।
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हर गर्मियों में, बिना नागा, अलिक्सान्दर कदाकिन (जिनके दोस्त और साथी उन्हें प्यार से ’साशा’ कहा करते थे) लगभग छह सप्ताह के लिए दिल्ली से ग़ायब हो जाते थे। इस दौरान वे रूस के कोहकाफ़ के इलाके में बने एक स्वास्थ्य केन्द्र में आराम किया करते थे और अपना जल-उपचार कराया करते थे। इस तरह वे अपना कायाकल्प कराकर और अपने शरीर की बैटरी में नई ऊर्जा भरकर फिर पूरे साल तक भारत-रूस सम्बन्धों को प्रगाढ़ करने के लिए जुट जाते थे। वे लगातार भारत की यात्रा किया करते थे और देश के कोने-कोने में राजनीतिक और सरकारी दरवाज़ों... Читать дальше...
हालाँकि यह बात सभी लोगों को मालूम है कि संस्कृत और रूसी भारोपीय कुल की ही भाषाएँ हैं, लेकिन अधिकांश लोग रूसी और संस्कृत के बीच भी उतनी ही दूरी मानते हैं, जितनी दूरी फ़ारसी और संस्कृत या लैटिन और संस्कृत के बीच है। भाषाविद व लेखक वीर राजेन्द्र ऋषि ने ‘भारत और रूस: भाषाई व सांस्कृतिक नाता’ नामक अपनी पुस्तक में लिखा है कि रूसी और संस्कृत के बीच की रिश्तेदारी इससे कहीं अधिक गहरी है।
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