भारत के विदेश मन्त्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने मीडिया में सामने आई ऐसी ख़बरों का खण्डन किया कि कुडनकुलम बिजलीघर में पाँचवे और छठे यूनिट के निर्माण के बारे में अनुबन्ध करने से पहले भारत ने यह शर्त रखी है कि उसे परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह का सदस्य बनाया जाए।
रूसी समाचार समिति ’रिया नोवस्ती’ ने गोपाल बागले के शब्दों को प्रस्तुत किया है, जिन्होंने कहा — यह ख़बर हानिकारक, ग़लत और निराधार है। कुडनकुलम से सम्बन्धित नए अनुबन्ध पर हस्ताक्षर करने से जुड़ी बातचीत अभी चल रही है। पहले हमें इस अनुबन्ध के सिलसिले में घरेलू अनुमोदन तो मिल जाए।
गुरुवार को ’टाइम्स ऑफ़ इण्डिया’ ने अपने विशिष्ट स्रोतों के हवाले से ख़बर दी थी कि कुडनकुलम में पाँचवे और छठे यूनिट के निर्माण के अनुबन्ध पर भारत तब तक हस्ताक्षर नहीं करेगा, जब तक कि उसे परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह का सदस्य नहीं बना लिया जाता। यह समूह परमाणु प्रौद्योगिकी की काला बाज़ारी पर निगरानी रखता है और उसके निर्यात की अन्तरराष्ट्रीय प्रणाली पर नियन्त्रण रखता है। ’टाइम्स ऑफ़ इण्डिया’ की ख़बर में बताया गया था कि मानो भारत ने रूस को यह बता दिया है कि उसे अगर परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह का सदस्य नहीं बनाया जाएगा तो उसे मजबूरन आने वाले दो-तीन साल तक ख़ुद अपना परमाणु ऊर्जा विकास कार्यक्रम चलाना होगा। भारत ने रूस को मानो यह चेतावनी दे दी है कि अगर उसकी बात नहीं मानी गई तो पाँचवे और छठे यूनिट के निर्माण का अनुबन्ध वह ठण्डे बस्ते में डाल देगा।
जबकि वास्तविक स्थिति यह है कि रूस और भारत ने पिछले साल अक्तूबर में ही कुडनकुलम बिजलीघर के पाँचवे और छठे यूनिट के निर्माण से जुड़े महाअनुबन्ध और उसके लिए ऋण सम्बन्धी सहमतियों को अन्तिम रूप दे दिया था। तब रूस के नेता व्लदीमिर पूतिन और भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सकारात्मक विकास का उल्लेख करते हुए नए महाअनुबन्ध की रूपरेखा और ऋण सम्बन्धी सहमतियों का भी विस्तार से ज़िक्र किया था।
बाम्बे हाई — 40 वर्ष पुरानी रूसी खोज