मरीया लगच्योवा ने जीवविज्ञान संकाय में अपनी शिक्षा पूरी की और आज वे रूस के प्रसिद्ध मस्क्वा (मास्को) विश्वविद्यालय की जीनोमिक विश्लेषण प्रयोगशाला में विभिन्न पौधों की जीनोमिक्स की पड़ताल करती हैं। 2014 में उन्हें अपने एक शोध के लिए ल’ओरियल-यूनेस्को पुरस्कार मिला था। मरीया ने कहा — मेरे पति भी मेरे साथ ही मेरी ही प्रयोगशाला में काम करते हैं और यह बहुत अच्छा है क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता तो हमारी कभी मुलाकात ही न हो पाती। हम दोनों ही अपने-अपने काम में लगे रहते हैं।
मरीया के पिता गणितज्ञ है। उनके नाना भौतिकशास्त्री हैं और उनकी माँ भाषाविद्। बचपन में जब मरीया विज्ञान में दिलचस्पी लेती थीं तो सब उन्हें बहुत प्रोत्साहित करते थे। लेकिन जब बड़े होकर उन्होंने वैज्ञानिक बनने की सोची तो सभी ने उनसे कहा कि वे वैज्ञानिक न बनेंं क्योंकि वैज्ञानिकों के वेतन बहुत कम होते हैं। इसके अलावा रूस में महिला-वैज्ञानिकों को पुरुषो-वैज्ञानिकों से 26 प्रतिशत कम वेतन मिलता है। रूसी हायर स्कूल ऑफ़ इकोनोमिक्स के आर्थिक ज्ञान और आँकड़ा शोध विभाग द्वारा दी जाने वाली जानकारियाँ इसका सबूत हैं।
मरीया लगच्योवा।
2015 में रूसी वैज्ञानिकों को आम तौर पर 26,400 रुपए से लेकर 52,800 रुपए तक वेतन मिलता था। इससे ऊपर यानी 52,800 रुपए से 105,600 रुपए तक वेतन सिर्फ़ 15.8 प्रतिशत महिला-वैज्ञानिकों और 28.4 प्रतिशत पुरुष-वैज्ञानिकों को मिलता था। 105,600 से ज़्यादा वेतन सिर्फ़ 1.5 प्रतिशत महिला-वैज्ञानिकों और 6.8 प्रतिशत पुरुष वैज्ञानिकों को मिलता था।
रूसी महिला-वैज्ञानिकों का कहना है कि वे इसलिए वैज्ञानिक बनीं क्योंकि उनपर उनके माता-पिता का असर रहा। येकतिरीना ल्युकमानवा ने बताया — मेरा पिता रसायनशास्त्री थे। वे शम्याकिन जैवशारीरिक रसायन संस्थान में काम करते थे। शायद मेरे ऊपर भी उनका ही असर रहा। मैं बचपन से ही दवाइयाँ बनाना चाहती थी। इसीलिए मैने यह पेशा चुना।
येकतिरीना के पास चार आविष्कारों के पेटेण्ट हैं। वे प्रोटीन विशेषज्ञ के रूप में प्रसिद्ध हैं, जो मनुष्य की स्मृति को समृद्ध करते हैं, भ्रूण के विकास में सहायता करते हैं और इसके साथ-साथ कैंसर-कोशिकाओं के विकास को नियन्त्रित करते हैं।
येकतिरीना ल्युकमानवा। Personal archive
कोशिका-जैवभौतिकशास्त्री नदेझ्दा ब्राझे आज भी याद करती हैं कि कैसे वे अपने भौतिक वैज्ञानिक माता-पिता के साथ रोज़ उनकी प्रयोगशाला में जाया करती थीं क्योंकि घर पर उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था। वे बताती हैं — उस प्रयोगशाला में मैं अभिकर्मकों (रिएक्टिव पदार्थों) और उपकरणों की महक के बीच बैठी रहती थी। जब मेरे पिता अपने अनुसन्धान के परिणाम निकाल रहे होते थे, मैं उस समय चुपचाप सफ़ेद काग़ज़ों पर भौतिकी के सूत्र लिखने की कोशिश करती रहती थी।
अब नदेझ्दा ऊतकों और शरीर के विभिन अंगों में अणुओं के गुणों की पड़ताल करती हैं और हृदयाघात, हृदय रोग और मधुमेह के खिलाफ़ संघर्ष में मदद करती हैं। वे कोशिका जीव विज्ञान के बारे में तस्वीरों सहित एक किताब लिखना चाहती हैं, जो बच्चों के भीतर उनके पेशे बायो-फिज़िक्स के लिए प्यार और उसमें दिलचस्पी पैदा करे।
नदेझ्दा ब्राझे। Personal archive
रूसी महिला-वैज्ञानिकों का कहना है कि परिवार और ’विज्ञान के प्रति प्रेम’ में सन्तुलन बैठाना आसान नहीं है, लेकिन ऐसा किया जा सकता है। येकतिरीना ल्युकमानवा ने कहा — इसके लिए बड़ी एकाग्रता और ध्यान की ज़रूरत पड़ती है, सभी घरेलू कामों और घरेलू बातों के बीच तालमेल बैठाना पड़ता है। अपनी सभी योजनाएँ पहले से तय करनी पड़ती हैं। कहाँ-कहाँ जाना है, क्या लाना है, सब पहले से तय करना होता है।
येकतिरीना के पति भी वैज्ञानिक हैं। वे शरीर और गणित विज्ञान के क्षेत्र में काम करते हैं। दोनों पति-पत्नी न सिर्फ़ मिलकर शोध करते हैं, बल्कि इन दोनों के तीन बच्चे भी हैं। उनका घर उनकी प्रयोगशाला के पास है, इससे येकतिरीना को बहुत सहायता मिलती है। बच्चों के स्कूल और बालवाड़ी भी पास ही हैं। इसके अलावा उनकी सास भी उनके साथ रहती हैं और उनकी मदद करती हैं। येकतिरीना चाहती हैं कि जल्दी ही वे अपना शोध पूरा कर लें ताकि उन्हें ’डॉक्टर ऑफ़ साइंस’ की उपाधि मिल जाए।
येलेना पितेरसन कोशिका ऊतकों और अंगों के त्रिआयामी मॉडलों का निर्माण करती हैं और इसके साथ-साथ वे कृत्रिम ऊतकों के मूल्यांकन के तरीकों की खोज में लगी हुई हैं। उनके परिवार के सदस्य उनके काम में उनकी सहायता करते हैं। येलेना ने बताया — मेरे पति मेरी रुचियों को समझते हैं और जिन दिनों मैं अपने शोध के परिणाम लिख रही होती हूँ, उन दिनों में भी मेरी पूरी-पूरी सहायता करते हैं। वे घर-परिवार की सारी चिन्ता अपने ऊपर ले लेते हैं।
येलेना पितेरसन। Personal archive
अनस्तसीया नऊमवा मस्क्वा (मास्को) के तकनीक-भौतिकी संस्थान में कम्प्यूटर डिजाइन सामग्री प्रयोगशाला में वैज्ञानिक हैं और हाइड्रोजन ऊर्जा के क्रिस्टलों के लिए कई प्रकार के अणुओं वाले सह-क्रिस्टल की खोज में लगी हुई हैं। इसके अलावा वे उच्च तापमान में बनने वाले नाइट्रोजन यौगिकों की रासायनिक स्थिरता की पड़ताल भी कर रही हैं। अनस्तसीया ने बताया कि वे अक्सर घर पर भी काम करती हैं और अपने बच्चे के छोटा होने के बावजूद अपनी खोज का काम भी आगे बढ़ा रही हैं।
अनस्तसीया नऊमवा। Personal archive
रूस में विज्ञान के क्षेत्र में लैंगिक समानता की प्रवृत्ति सोवियत सत्ताकाल में ही दिखाई देने लगी थी, जब देश में विज्ञान के विकास को प्राथमिकता दी जाती थी। आम तौर पर रूस में महिला-वैज्ञानिकों के प्रति सभी सहकर्मी और अधिकारी वही रवैया रखते हैं, जो पुरुष वैज्ञानिकों के प्रति होता है, लेकिन कभी-कभी इसका अपवाद भी देखने को मिलता है।
मरीया लगच्योवा ने बताया — मुझे याद है कि जब मैं यूनिवर्सिटी में पढ़ रही थी तो कैसे पहले सेमिस्टर में हमारे एक प्राध्यापक ने बड़े पूर्वाग्रह से यह बताया था कि रूस में ज़्यादातर जीव वैज्ञानिक औरतें ही हैं। हालाँकि यह बात ग़लत है क्योंकि इस क्षेत्र में पुरुष और महिला वैज्ञानिकों की संख्या बराबर है।
इरीना अलिकसेइन्का। Personal archive
आणविक जीवविज्ञानी इरीना अलिकसेइन्का कहती हैं — नवासिबीर्स्क विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान संकाय में जब मैंने दाखिला लिया तो वहाँ क़रीब 20 प्रतिशत लड़कियाँ ज़्यादा थीं। यान्त्रिकी और भौतिकी संकायों में भी लड़कियों की संख्या बहुत ज़्यादा थी, जबकि इन दोनों फ़ैक्लटियोंं में पढ़ाई करना बहुत मुश्किल होता है।
आज अलिकसेइन्का कैंसर की दवाई की खोज कर रही हैं। उनकी माँ और नाना की मृत्यु कैंसर से ही हुई है। अपनी खोज पूरी करने और कैंसर की औषधि बनाने के लिए इरीना ने निजी पूंजी निवेश को भी आकर्षित किया है और इसके लिए उन्होंने अपनी एक कम्पनी भी खोल रखी है।
इरीना ने कहा — निवेशक हमेशा मुझसे पूछते रहते हैं कि मेरे बच्चे क्यों नहीं हैं और क्या मैं जल्दी ही बच्चे पैदा करना चाहूँगी। वे शायद मेरी जगह किसी पुरुष को देखना चाहते हैं। लेकिन मैं फिलहाल अपनी जगह नहीं छोड़ना चाहती।