21वें अन्तरराष्ट्रीय पितेरबुर्ग (पीटर्सबर्ग) आर्थिक फ़ोरम में बोलते हुए 2 जून को रूस के राष्ट्रपति व्लदीमिर पूतिन ने जानकारी दी कि 2017 के शुरू से ही रूस में विदेशी निवेश बढ़ता जा रहा है।
व्लदीमिर पूतिन ने कहा — इस साल की पहली तिमाही में रूसी अर्थव्यवस्था में 7 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश किया गया। मैं यह बताना चाहता हूँ कि पिछले तीन सालों में इस दौर में यह सर्वश्रेष्ठ आँकड़ा है।
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पूतिन ने बताया कि पिछली तीन तिमाहियों से लगातार रूस के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि हो रही है। प्राथमिक सूचनाओं के अनुसार, विगत अप्रैल में विकास की यह दर 1.4 प्रतिशत रही। उन्होंने कहा — अब हम यह कह सकते हैं कि रूस की अर्थव्यवस्था के विकास का नया दौर शुरू हो गया है। रूस में कारों की बिक्री बढ़ती जा रही है तथा आवासीय ऋण लेने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। ये दोनों बातें इसका संकेत देती हैं कि रूसी अर्थव्यवस्था में फिर हलचल शुरू हो गई है।
परामर्शदाता कम्पनी ’एर्न्स्ट एण्ड यंग’ की वेबसाइट पर 1 जून को प्रकाशित साख-सूची इस बात का प्रमाण है जिसमें विदेशी निवेशकों के बीच यूरोप के लोकप्रिय देशों में रूस को सातवें स्थान पर रखा गया है।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि सन् 2016 में रूस में ऐसी परियोजनाओं की संख्या बढ़कर 205 हो गई, जिनमें विदेशी निवेशकों ने अपनी पूंजी लगाई है। 2005 से इस पर नज़र रखी जा रही है और तब से अब तक रूस में विदेशी निवेश सौदों की यह संख्या सबसे बड़ी है।
2015 के इसी दौर के मुकाबले में रूस में विदेशी पूंजी निवेश अनुबन्धों की संख्या में 61 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले एक साल में इस दृष्टि से रूस ने बेल्जियम को भी पीछे छोड़ दिया है, जो छठे स्थान से आठवें स्थान पर पहुँच गया है और जहाँ विकास-दर गिरकर 5 प्रतिशत हो गई है। नीदरलैण्ड (हालैण्ड) की विकास-दर भी पाँच प्रतिशत ही है, लेकिन उसने विदेशी निवेश परियोजनाओं की संख्या की दृष्टि से रूस को पीछे छोड़ दिया है। नीदरलैण्ड में 207 परियोजनाओं में विदेशी निवेशक पूंजी निवेश कर रहे हैं।
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रूस में बिक्री और विपणन (सेल्स एण्ड मार्केटिंग) का क्षेत्र विदेशी निवेशकों के लिए अर्थव्यवस्था का सबसे आकर्षक क्षेत्र बन गया है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की दृष्टि से कुल 46 प्रतिशत परियोजनाएँ इस क्षेत्र से सम्बन्ध रखती हैं। दूसरे स्थान पर उत्पादन का क्षेत्र है और तीसरे स्थान पर है — मालों की ढुलाई और परिवहन।
रूस में निवेश करने वालों में सबसे ज़्यादा निवेशक जर्मनी और अमरीका के हैं। ’एर्न्स्ट एण्ड यंग’ के सहयोगी प्रबन्धक अलिक्सान्दर ईवलिफ़ ने बताया — जर्मन सहयोग से रूस में विकसित हो रही परियोजनाओं की संख्या 20 प्रतिशत बढ़कर 36 से 43 हो गई है। अमरीकी निवेशकों के लिए तो 2016 का साल एक रिकार्ड साल रहा है। रूस में निवेश करने वाली अमरीकी कम्पनियों की संख्या में 31 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और वे बढ़कर कुल 38 की संख्या तक पहुँच गई हैं। 2005 से आज तक रूस में अमरीकी सहयोग से विकसित की जा रही परियोजनाओं की यह सबसे बड़ी संख्या है।
लेकिन फिर भी रूसी अर्थव्यवस्था में निवेश करने वाला प्रमुख विदेशी निवेशक पश्चिमी यूरोप ही है। 2016 में 98 परियोजनाओं में पश्चिमी यूरोप ने निवेश किया है, जबकि 2015 में यह संख्या कुछ ज़्यादा यानी 100 थी। रूस में फ़्राँसीसी निवेशकों ने 2015 में और 2016 में भी कुल 20-20 परियोजनाओं में निवेश किया है। लेकिन रूसी अर्थव्यवस्था में निवेश करने वाले इतालवी निवेशकों की संख्या गिरकर आधी रह गई है। पहले वे 12 परियोजनाओं में शामिल थे, अब सिर्फ़ 7 ही परियोजनाओं में उनकी पूंजी लगी हुई है। रूस में निवेश करने वाले तीन प्रमुख यूरोपीय देशों में अब आस्ट्रिया ने इटली को पीछे छोड़ दिया है। 2016 में आस्ट्रिया की कम्पनियों ने रूस में कुल नौ परियोजनाओं में अपनी पूंजी का निवेश किया है।
रूस के करेलिया प्रदेश के कार्यकारी प्रमुख अरतूर परफ़ेनचिकफ़ का मानना है कि रूस एशिया और पश्चिमी एशिया के निवेशकों को भी बड़ी संख्या में आकर्षित कर रहा है। उन्होंने कहा — हमारा घरेलू बाज़ार बहुत बड़ा है और उसका बड़े स्तर पर विकास किया जा सकता है। इस साल हमारे यहाँ विदेशी निवेश और 20-30 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। एशिया और पश्चिमी एशिया के निवेशक घरेलू बाज़ार में बड़ी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। तेल की बढ़ती हुई क़ीमतें, रूसी मुद्रा रूबल के स्थिर रहने और रूस में प्रशासनिक बाधाओं के कम होने से रूसी बाज़ार विदेशी निवेशकों के लिए और ज़्यादा आकर्षक बना है।
’एर्न्स्ट एण्ड यंग’ की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पिछले साल की एक ख़ासियत यह रही है कि यूरोपीय देशों में चीनी निवेशक बहुत ज़्यादा सक्रिय हो गए हैं। 2016 में यूरोप की 297 परियोजनाओं में चीनी निवेशकों ने अपनी पूंजी का निवेश किया है, जो 2015 के मुक़ाबले 25 प्रतिशत ज़्यादा है।
रूसी कम्पनी समूह ’फ़िनाम’ के वित्त विश्लेषक तिमूर निगम्त्तुलीन का मानना है — पिछले कुछ सालों में रूस में पूंजी निवेश की मात्रा इसलिए कम रही क्योंकि रूसी मुद्रा रूबल की क़ीमतों में भारी उतार-चढ़ाव हो रहा था, रूस में मुद्रास्फ़ीति बढ़कर दो अंकों तक पहुँच गई थी और वैश्विक राजनीति रूस के ख़िलाफ़ हो गई थी। इसलिए निवेशक भी इस डर से रूस में अपने धन का निवेश नहीं कर रहे थे कि कहीं पूंजी डूब न जाए।
उन्होंने कहा — लेकिन अब जब रूस की स्थिति धीरे-धीरे सामान्य होने लगी है तो निवेशकों की दिलचस्पी भी रूस में बढ़ती जा रही है। ख़ासकर फ़्राँस और जर्मनी के निवेशक रूस में बड़े-बड़े निवेश कर रहे हैं। लेकिन चीन और अरब देशों के निवेशक अभी तक सतर्कता बरत रहे हैं और रूस में बड़े स्तर पर निवेश करने में संकोच कर रहे हैं।
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