सीरिया में आतंकवादी गिरोह ’इस्लामी राज्य’ (आईएस) के आतंकवादियों के साथ हुई लड़ाई के बाद जब बख्तरबन्द गाड़ी ’तीग्र’ (टाइगर) में सवार रूसी सैनिक बिना एक भी खरोंच खाए साफ़-साफ़ बचकर आ गए तो रूस के रक्षा मन्त्रालय के अधिकारियों ने न केवल इन बख़्तरबन्द गाड़ियों की नई खेपें ख़रीदने का फ़ैसला कर लिया, बल्कि नई क़िस्म की आधुनिकीकृत बख़्तरबन्द गाड़ियों के निर्माण के लिए निवेश करने का भी निर्णय लिया।
GAZ Tigr(Tiger) hit by something in Syria. Crew survived pic.twitter.com/SNyOZxBwvM
— monitoring (@warsmonitoring) 28 апреля 2017 г.’तीग्र (टाइगर) नामक बख्तरबन्द गाड़ियों का उत्पादन करने वाली रूसी रक्षा उद्योग की एक कम्पनी के प्रेस अधिकारी सिर्गेय सुवोरफ़ ने रूस-भारत संवाद से बातचीत करते हुए कहा — अगले साल हम ’तीग्र’ नामक इस बख़्तरबन्द गाड़ी का अगली पीढ़ी का नया संस्करण पेश करेंगे। इस नई बख़्तरबन्द गाड़ी का ढाँचा एकदम नए क़िस्म का होगा। यह गाड़ी अधिक सुरक्षित होगी और अधिक वज़न ढो सकेगी।
इस नई बख़्तरबन्द गाड़ी की तली अँग्रेज़ी के ’वी’ अक्षर की तरह होगी। इसमें चालक-दल और जवानों के सवार होने और देर तक बैठने के लिए अधिक सुविधाएँ होंगी तथा उस गाड़ी में सुरक्षा के तीन वर्ग होंगे — दूसरा, तीसरा और चौथा।
रूस की सैन्य विज्ञान अकादमी के प्रोफ़ेसर वदीम कज़्यूलिन ने रूस-भारत संवाद को बताया — रूसी सैन्याधिकारी चाहते हैं कि इस बख़्तरबन्द गाड़ी पर 100 मिलीमीटर की एक अतिरिक्त तोप लगी होनी चाहिए। हालाँकि यह बख़्तरबन्द गाड़ी आज भी गोलाबारी कर सकती है क्योंकि उस पर ’कॉर्नेट’ टैंकरोधी तोप और ’अरबालेत’ तोप लगी हुई है। संक्षेप में कहें तो सैनिक इस गाड़ी को हमलावर तोप के रूप में छोड़कर ख़ुद मोर्चे से सुरक्षित दूरी पर पीछे हट सकते हैं और वहीं से रिमोट कण्ट्रोल के माध्यम से इस गाड़ी में लगी तोपों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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उन्होंने कहा — सीरियाई सैन्य अभियान पूरा होने के बाद हमारा दूसरा उद्देश्य इस गाड़ी की बख़्तर-सुरक्षा को और ज़्यादा मज़बूत बना होगा। यह बख़्तरबन्द गाड़ी आज भी बेहद मज़बूत है, लेकिन कुछ जगहों पर इसमें सुरक्षा को बढ़ाया जाना चाहिए। हमारा तीसरा उद्देश्य इस गाड़ी में और ज़्यादा सक्षम व मज़बूत इंजन लगाना होगा, ताकि गाड़ी और ज़्यादा पैंतरे बदल सके।
वदीम कज़्यूलिन ने कहा — ’तीग्र’ (टाइगर) नामक इस बख़्तरबन्द गाड़ी की ख़रीद को ’2018 से 2025 तक की सेना के लिए हथियारों की ख़रीद की परियोजना’ में शामिल किया जाएगा। नई बख़्तरन्बन्द गाड़ियों को ’तीग्र’ और ’रीस’ नामक पुरानी बख़्तरबन्द गाड़ियों की जगह इस्तेमाल किया जाएगा। रूसी सेना आने वाले सात साल में इस तरह की कितनी नई गाड़ियाँ ख़रीदेगी, इसकी घोषणा ख़रीद-कार्यक्रम बनाने के बाद जल्दी ही कर दी जाएगी।
बख़्तरबन्द गाड़ी ’तीग्र’ (टाइगर) का इस्तेमाल रूस के विदेशमन्त्री सिर्गेय शायगू और रूस के उप-प्रधानमन्त्री दिमित्री रगोज़िन भी अपने रोज़मर्रा के आवागमन में करते हैं। रूस-भारत संवाद को यह जानकारी समाचार पत्र ’इज़्वेस्तिया’ के सैन्य विश्लेषक दिमित्री सफ़ोनफ़ ने दी।
यह गाड़ी अमरीका गाड़ी ’हैमर’ की तरह ही है यानी यह भी बख़्तरबन्द गाड़ी का ही दूसरा नागरिक रूप है, जिसका निचला आधारभूत ढाँचा (ड्राइवट्रेन) तथा ऊपरी ढाँचा उतना ही मज़बूत है। बस, इस गाड़ी में सैनिकों के बैठने के लिए बना विशेष कक्ष नहीं है।
मीडिया द्वारा दी जाने वाली जानकारी के अनुसार, रूस में इस गाड़ी की क़ीमत क़रीब डेढ़ करोड़ रुपए है। लेकिन रक्षा उद्योग के प्रेस अधिकारी सिर्गेय सुवोरफ़ का कहना है कि गाड़ी में ग्राहक की इच्छानुसार बदलाव किए जा सकते हैं। इस गाड़ी में किसी तरह के हथियार नहीं लगाए जाएँगे, लेकिन ग्राहक की इच्छा पर बाक़ी हर तरह के बदलाव किए जा सकते हैं।
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