रूस के रक्षा मन्त्रालय ने सभी एयरलाइनों को यह पूर्व चेतावनी दे दी है कि 24 मई से 27 मई के बीच रूसी नौसैनिक बेड़े के युद्धपोत लीबिया के तटवर्ती समुद्री इलाके में मिसाइलों का परीक्षण करेंगे।
एयरलाइनों के नाम भेजी गई सूचना में कहा गया है कि लीबिया की राजधानी त्रिपोली के चारों तरफ़ 150 किलोमीटर के इलाके में इन दिनों कोई विमान न उड़ाया जाए। वास्तव में, इन 150 किलोमीटरों के दायरे में लीबिया का पूरा समुद्री तटवर्ती इलाका शामिल हो जाता है।
रूसी मीडिया में छपी जानकारियों के अनुसार भूमध्य सागर में इस समय सात रूसी युद्धपोत और ’क्रस्नदार’ नामक एक पनडुब्बी उपस्थित है। रूस के भूमध्यसागरीय नौसैनिक दस्ते में दो मिसाइल फ़्रिगेट युद्धपोत, एक बड़ा कमाण्डो युद्धपोत और एक मध्यम टोही युद्धपोत शामिल हैं। बाक़ी तीन पोत रूसी नौसैनिक दस्ते को रसद उपलब्ध कराने वाले पोत हैं।
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रूस-भारत संवाद से बात करते हुए ’जन्मभूमि के शस्त्रागार’ नामक रूसी पत्रिका के प्रमुख सम्पादक वीक्तर मुरख़ोव्स्की ने कहा — यह नौसैनिक अभ्यास कितने बड़े इलाके में होगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि कौन-कौन से मिसाइलों का इस अभ्यास के दौरान परीक्षण किया जाएगा। ’कैलीबर’ क्रूज मिसाइल का परीक्षण किया जाएगा या पोतनाशक मिसाइल 3एम54 का, एक्स-35 मिसाइल का या ’उरान’ नामक मिसाइल का?
मुरख़ोव्स्की ने कहा — यूरोपीय और उत्तरी अफ़्रीकी पोतों और विमानों की सुरक्षा की दृष्टि से रूसी सेना ने इस इलाके में बड़ी नाकेबन्दी कर दी है। रूसी सेना ने ज़रूरत से दोगुने ज़्यादा इलाके में यह नाकेबन्दी की है।
मुरख़ोव्स्की ने बताया — रूसी नौसैनिक बेड़ा किन मिसाइलों का परीक्षण करेगा और लीबिया को कौन-कौन से मिसाइल दिखाना चाहेगा, इसकी जानकारी परीक्षण के दौरान ही होगी। फिलहाल इस बारे में सूचना को ’गुप्त’ रखा जा रहा है। कोई भी देश यह बताने के लिए बाध्य नहीं है कि वह अपने सैन्याभ्यास के दौरान किन हथियारों का परीक्षण करने जा रहा है।
इसके साथ-साथ रूसी नौसैनिक बेड़े के हर अभ्यास पर नाटो के युद्धपोतों और टोही विमानों की नज़र बनी रहेगी।
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वीक्तर मुरख़ोव्स्की ने कहा — इस रूसी नौसैनिक सैन्याभ्यास के दौरान नाटो के टोही विमान पी-8 पोजेडोन, बोइंग विमान आर सी-135 और नाटो के समुद्री बेड़े के वे टोही पोत भी पूरी तरह से सावधान रहेंगे और नौसैन्याभ्यास की निगरानी करेंगे, जो उस समय भूमध्य सागर में मौजूद होंगे।
एक साल पहले जब रूसी विमानवाहक युद्धपोत अपने बेड़े के साथ सीरिया गया था तो वहाँ से लौटते हुए वह लीबिया के एक बन्दरगाह पर रुका था। इस पड़ाव के समय प्रमुख लीबियाई सैन्य अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमण्डल ने रूसी विमानवाहक पोत पर आकर रूसी सैन्याधिकारियों से मुलाक़ात की थी।
रूसी समाचारपत्र ’इज़्वेस्तिया’ के सैन्य विश्लेषक दिमित्री सफ़ोनफ़ ने रूस-भारत संवाद से बातचीत करते हुए बताया — लीबिया के तटवर्ती इलाके में हमारे युद्धपोतों के पिछले और इस आगमन का उद्देश्य बस, यही है कि हम अपने नौसैनिक बेड़े की क्षमता का प्रदर्शन करना चाहते हैं और लीबियाई अधिकारियों को अपने युद्धपोतों में लगे हथियारों का परिचय देना चाहते हैं। हमें उम्मीद है कि इसके बाद हम लीबिया के साथ फिर से बातचीत शुरू कर सकेंगे और अपने सैनिक सहयोग का विकास कर सकेंगे।
दिमित्री सफ़ोनफ़ ने कहा — मई माह के अन्त में रूसी नौसैना लीबियाई सैन्य विशेषज्ञों और लीबियाई सैन्य अधिकारियों के बीच प्रदर्शन और प्रचार कार्रवाइयाँ करेगी। हम लीबिया की इजाज़त से ही मिसाइल परीक्षण कर रहे हैं। इन परीक्षणों के दौरान लीबियाई सैन्याधिकारी हमारे युद्धपोतों पर उपस्थित रहेंगे और वे हमारे नौसैनिकों की गतिविधियों पर और इन मिसाइलों के परीक्षण पर नज़र रखेंगे।
दिमित्री सफ़ोनफ़ ने बताया — लीबियाई सैन्याधिकारियों के प्रतिनिधिमण्डल के अलावा मिस्र की नौसेना का प्रतिनिधिमण्डल भी परीक्षणों के दौरान रूसी युद्धपोतों पर आ सकता है क्योंकि ये मिसाइल मिस्री इलाके के पास से भी गुज़रेंगे। मेरा ख़याल है कि इसलिए मिस्री सैन्याधिकारियों को भी परीक्षण देखने के लिए निमन्त्रित किया जाएगा। वैसे भी आजकल रूस और मिस्र के बीच मिग-29 और हैलिकॉप्टरवाहक युद्धपोतों पर तैनात किए जाने वाले केए-52 हैलिकॉप्टरों की सप्लाई के अनुबन्ध हो चुके हैं और हमारी सरकार इस सहयोग को आगे विकसित करना चाहती है।
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