विदेशियों की नज़र में सबसे लोकप्रिय रूसी नाम है — इवान। हाँ, यह बात सच भी है। कई सदियों तक रूसी समाज के हर वर्ग में यानी शाही परिवारों से लेकर आम किसान परिवारों तक यह नाम, सचमुच, बेहद लोकप्रिय रहा है। रूस के एक सबसे प्रसिद्ध ज़ार का नाम भी इवान ग्रोज़नी यानी इवान भयंकर था।
लेकिन बीसवीं सदी में ’इवान’ की लोकप्रियता बेहद कम हो गई। यह माना जाने लगा कि इवान नाम का आदमी अनपढ़ और बेवकूफ़ होता है, या यदि वह पढ़ा-लिखा भी हो तो बौड़म क़िस्म का भोला-भाला इनसान होता है। लेकिन सोवियत युग के अन्तिम दौर में रूसी बुद्धिजीवी वर्ग में जनसामान्य के बीच लोकप्रिय नाम रखने का फ़ैशन शुरू हो गया था। इसीलिए आज रूस के तीस साल की उम्र वाले पुरुषों के बीच बहुत से ’इवान’ मिल जाएँगे।
इवनोफ़, इवानिन्का, इवानाविच - रूसी कुलनामों का क्या मतलब होता है?
इसके अलावा रूस में पश्चिमी देशों में लोकप्रिय अभिजन या कुलीनवर्गीय रॉबर्त, अल्बेर्त, एदुआर्द, एल्वीरा, क्रिस्तीना जैसे नाम भी आज चारों तरफ़ अक्सर सुनाई देते हैं। लेकिन आज के दौर में ये नाम अब बड़ी तेज़ी से अलोकप्रिय होते जा रहे हैं। आज फिर रूस में नवजात बच्चों के पुराने रूसी नाम रखने का फ़ैशन चल पड़ा है। अब पश्चिमी यूरोपीय नाम अगर कोई देता भी है तो रूस के आंचलिक क्षेत्रों में जनसाधारण के बीच ही कोई देता होगा क्योंकि रूसी बुद्धिजीवी वर्ग तो पश्चिमी नामों को सस्ते और खिल्ली उड़ाने वाले यानी उपहास में रखे गए नाम समझता है।
रूसी सूचना विभाग के अनुसार, पिछले साल रूस में नवजात बालकों के जो नाम अक्सर रखे गए, वे इस प्रकार हैं — अलिक्सान्दर, मक्सीम, दिमित्री, अर्त्योम, निकीता और इवान। बालिकाओं के लिए पिछले साल ज़्यादातर ये नाम चुने गए — अनस्तसीया, मरीया, दार्या, सफ़ीया, येलिजावेता और आन्ना। आश्चर्य की बात तो यह है कि पहले लड़कियों के वेरा (विश्वास), नादेझ्दा (आशा) और ल्युबोफ़ (प्रेम) जैसे तीन नाम जो बेहद लोकप्रिय थे, अब ये नाम सूची में सिरे से ही ग़ायब हैं।
मक्सीम, निकीता, वेरा, नीना जैसे कुछ नामों को छोड़कर अधिकांश रूसी नामों को प्यार से संक्षेप में भी पुकारा जा सकता है। आम तौर पर इसके लिए नाम के पहले अक्षर के बाद ’शा’ जोड़ दिया जाता है। इस तरह मिख़ाइल ’मीशा’ हो जाता है, पाविल — पाशा. मरीया — माशा और दार्या — दाशा। नामों के कुछ दूसरे संक्षेपीकृत रूप भी हो सकते हैं, जैसे प्योतर के लिए ’पेत्या’, ल्युबोफ़ के लिए ’ल्यूबा’ और नादेझ्दा के लिए ’नाद्या’ आदि। कभी-कभी प्यार में बोले जाने वाले संक्षेपीकृत रूसी नामों में अन्तिम अक्षरों की जगह प्रारम्भिक अक्षर ग़ायब हो जाते हैं, जैसे इवान बदलकर ’वान्या’ हो जाता है। कभी-कभी तो नाम का सिर्फ़ बीच का हिस्सा ही बाकी रह जाता है, जैसे अलिक्सान्दर बदलकर ’साशा’ हो जाता है। कभी-कभी किसी-किसी नाम के दो-दो संक्षेपीकृत रूप भी सामने आते हैं, जैसे दिमित्री बदलकर ’दीमा’ या ’मीत्या’ हो जाता है। इन संक्षिप्त नामों का रूप भी बोलचाल में अक्सर बदलता रहता है, जैसे साशा बदलकर ’साशूरा’ या ’शूरा’ हो जाता है और ऐसा लगने लगता है कि अलिक्सान्दर से शूरा का, भला, क्या रिश्ता हो सकता है। लेकिन हर रूसी व्यक्ति यह जानता है कि ’शूरा’ का मतलब है — अलिक्सान्दर।
एक आम रूसी आदमी क्या सोचता है?
विभिन्न दस्तावेज़ों में व्यक्ति का पूरा नाम लिखा होता है। अगर किसी व्यक्ति को औपचारिक रूप से सम्बोधित किया जाता है तो भी उसका पूरा नाम ही लिया जाता है। लेकिन परिवार में व्यक्ति के माता-पिता, भाई-बहन या दोस्त-सहकर्मी उसके प्यार भरे संक्षिप्त नाम से उसे पुकारते हैं। यह संक्षिप्त नाम तब भी इस्तेमाल किया जाता है, जब किसी व्यक्ति से अपनी निकटता प्रदर्शित करनी होती है। कई बार तो ऐसा करने के लिए ’वान्या’ को भी और गहरे प्यार से भरकर ’वानिच्का’, साशा को ’साशिन्का’ और माशा को ’माशिन्का’ आदि कहकर पुकारा जाता है। बच्चों को प्यार से ऐसे ही पुकारते हैं और एक-दूसरे से प्रेम करने वाले दो व्यक्ति भी आपस में एक-दूसरे को ऐसे ही पुकारते हैं। नामों का यह नया रूप मन की कोमल भावनाओं और मन के लगाव को अभिव्यक्त करता है। लेकिन यदि इन्हीं संक्षिप्त नामों में ’न्का’ हटाकर सिर्फ़ ‘का’ जोड़ा जाए तो इससे नामों को अभद्र रूप सामने आता है, जैसे साशिन्का की जगह ’साश्का’, माशिन्का की जगह ’माश्का’ और वानिच्का की जगह ’वान्का’।
रूस में सोवियत सत्ता की स्थापना के आरम्भिक सालों में कम्युनिस्टों ने नए युग के अनुरूप कुछ नए नामों का भी बड़ी सक्रियता से प्रचार किया था। आम तौर पर ये नाम रूसी समाजवादी क्रान्ति के नेताओं के पूरे नामों के संक्षिप्त रूप ही थे, जैसे व्लदीमिर इल्यीच लेनिन के नाम के तीन शब्दों के पहले तीन अक्षर मिलाकर ’विलेन’ नाम बनाया गया था या मार्क्स, एंगेल्स और लेनिन और अक्तूबर रिवोल्यूशन के पहले अक्षरों को मिलाकर ’मेलोर’ नाम बनाया गया था। ऐसे ही लेनिन नाम को उलटकर ’निनेल’ नाम बना दिया गया था। सबसे ज़्यादा मज़ाकिया और हँसोड़ नाम था — दज़द्रापेर्मा यानी दा ज़्द्राव्स्त्वूएत पेर्वए माया (पहली मई की जय हो)। कुछ असामान्य व असाधारण नाम भी क्रान्ति के बाद के उन दिनों में रखे गए थे, जैसे वैज्ञानिक तकनीकी विकास की स्मृति में कुछ बच्चों के ’इन्दूस्त्रिया’ (इण्डस्ट्री) और इलेक्त्रोन जैसे नाम रखे गए थे। दोमना (भट्टी) जैसे नाम भी औद्योगिक विकास का यशगान करने के लिए रखे गए थे, लेकिन वास्तव में दोमना एक पुराना रोमन नाम भी है।
कुछ नाम विदेशियों के लिए रूढ़ हो जाते हैं और वे जातिवाचक संज्ञाओं में बदल जाते हैं। जैसे पश्चिमी देशों में सभी रूसियों को ’इवान’ कहा जाता है और रूस में सभी जर्मनों को ’फ़्रीत्स’। तुर्की में सभी रूसी महिलाओं का ’नताशा’ कहकर पुकारा जाता है। पोलैण्ड की पोल भाषा में रूसी नाम ’तान्या’ का मतलब होता है — सस्ता और अमरीका के पिछले राष्ट्रपति बराक का नाम रूसी भाषा में ’बैरक’ हो जाता है।
अब जब बात राष्ट्रपतियों की होने ही लगी है तो हम आपको बता दें कि व्लदीमिर का मतलब रूसी भाषा में ‘व्लदेयुशी मीरम’ यानी ’दुनिया का मालिक’ होता है। व्लदीमिर को संक्षेप में ’वोवा’ कहते हैं, जो व्लदीमिर नामक व्यक्ति की नापसन्दगी और अप्रियता को प्रकट करता है, लेकिन जब यही वोवा ’वोवच्का’ में बदल जाता है तो यह उसके प्रति गहरे प्यार को प्रदर्शित करता है। इसके अलावा वोवच्का के बारे में रूसी भाषा में वैसे ही बहुत से चुटकुले सुनाई देते हैं, जैसे हिन्दी में ’सन्ता और बन्ता’ को लेकर बने हुए हैं। रूसी चुटकुलों का ’वोवच्का’ एक कम उम्र का शैतान स्कूली बालक है।
इस लेख का सर्वाधिकार ’रस्सीस्कया गज़्येता’ के पास सुरक्षित है।
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो... रूसी लोग मुस्कुराते क्यों नहीं हैं?