अभी हाल तक इस विमान को पाँचवी पीढ़ी के अमरीकी लड़ाकू विमान एफ़-22 रेप्टर का रूसी जवाब माना जाता था। लेकिन आज एसयू-35 को बीसवीं सदी के एक सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमान एसयू-27 के विकास की अन्तिम कड़ी माना जा रहा है।
अथवा इसे पाँचवी पीढ़ी के सैद्धान्तिक रूप से नए लड़ाकू विमान टी-50 की पहली कड़ी माना जाता है।
अपनी बॉडी और इंजन को छोड़कर बाहरी रूप से एसयू-35 पूरी तरह से रूस के भावी पाँचवी पीढ़ी के विमान जैसा ही है। लेकिन एसयू-35 की क़ीमत पाँचवी पीढ़ी के विमान से क़रीब एक-तिहाई कम है। इसी वजह से रूस के रक्षा मन्त्रालय के अधिकारियों ने पाँचवी पीढ़ी के विमान की ख़रीद को कुछ समय के लिए टालने का फ़ैसला किया है।
रूस-भारत संवाद से बात करते हुए सैन्य विज्ञान अकादमी के प्रोफ़ेसर वदीम कज़्यूलिन ने बताया — एसयू-35 विमान में डिजिटल कॉकपिट लगा हुआ है। इस विमान में भी टी-50 की तरह सारे उपकरण डिजिटल ही हैं। सुइयों वाले उपकरण इस विमान में दिखाई नहीं देते। उनकी जगह पर दो बड़े एलसीडी स्क्रीन लगे हुए हैं। इन स्क्रीनों पर ही पायलट को सारी ज़रूरी सूचनाएँ दिखाई देती हैं।
विमान को खींचने वाली पूरी हाइड्रोडायनामिक प्रणोदन प्रणाली का नियंत्रण बिजली से होता है। विमान के डिजाइनरों का कहना है कि इस वजह से न सिर्फ़ विमान का वज़न घटा है और विमान के संचालन में समय की बचत होती है, बल्कि इस विमान का नियन्त्रण पायलट के अलावा रिमोट कण्ट्रोल से भी किया जा सकता है।
वदीम कज़्यूलिन ने बताया — व्यावहारिक रूप में इसका मतलब यह है कि विमान के नियन्त्रण में पायलट की भूमिका अब कम हो गई है। अब कम्प्यूटर यह तय करता है कि विमान किस गति से और किस रूप में लक्ष्य की ओर बढ़ेगा और कब पायलट को इस बात की इजाज़त मिलेगी कि वह विमान पर तैनात हथियार का इस्तेमाल करे। इसके अलावा कम ऊँचाई वाली जगहों पर नीची उड़ान भरते हुए या गोलाई में उड़ान भरते हुए पायलट की कुछ ज़िम्मेदारियाँ अब कम्प्यूटर ख़ुद निभाता है।
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उन्होंने बताया — इसके साथ-साथ विमान में लगे इलैक्ट्रोनिक उपकरण इस पर भी नज़र रखेंगे कि जब पायलट हथियारों का इस्तेमाल करे तो उससे विमान को कोई नुक़सान नहीं पहुँचे और विमान बेकाबू होकर नीचे नहीं गिरे।
इसके अलावा इस लड़ाकू विमान पर अत्यन्त आधुनिक चरणबद्ध एण्टीना सरणी वाला राडार ’इरबीस’ लगा हुआ है, जो बहुत दूर स्थित लक्ष्यों को भी पता लगाने की अनूठी ख़ासियतों से लैस है।
वदीम कज़्यूलिन ने कहा — अपनी ख़ासियतों के अनुसार यह राडार भी वैसा ही है, जैसा राडार एफ़-22 विमान में लगा हुआ है। सामने से आते हुए लक्ष्य को ’इरबीस’ राडार 350-400 किलोमीटर दूर से ही पहचान लेता है। किसी भी विमानवाहक युद्धपोत को यह लड़ाकू विमान साढ़े तीन सौ से चार सौ किलोमीटर दूर से ही पहचान लेगा। रेलवे के किसी पुल को डेढ़ सौ से दो सौ किलोमीटर पहले ही पहचान लेता है। सौ से एक सौ बीस किलोमीटर पहले ही यह राडार यह जान जाता है कि दूर कोई नौका चल रही है और 60-70 किलोमीटर दूर से ही किसी सामरिक मिसाइल या टैंकों के समूह जैसी बख्तरबन्द गाड़ियों को देख लेता है और उन्हें नष्ट कर देता है।
Valery Sharifulin/TASS
एसयू-35 विमान पर नया रूसी वैमानिकी इंजन एएल-41एफ़-1एस लगा हुआ है, जो विमान को न केवल बड़ी गति प्रदान करता है, बल्कि वह अधिक तेज़ी से कई तरह के नए पैंतरे भी बदल सकता है और इस इंजन के कारण विमान को पहले से अधिक हथियारों से लैस किया जा सकता है।
कुल मिलाकर एसयू-35 पर एकदम सटीक मार करने वाले 8 टन बम और मिसाइल तैनात किए जा सकते हैं।
एसयू-35 लड़ाकू विमान पर एकदम सटीक मार करने वाले हवाई बम तैनात करने के लिए विमान की बॉडी पर बाहर की तरफ़ 12 हुक लगे हुए हैं। इसके अलावा विमान के पंखों में भी ऐसे दो हुक बने हुए हैं, जिनमें रेडियो इलैक्ट्रोनिक युद्ध करने वाले उपकरणों के कण्टेनर टाँगे जा सकते हैं। इस लड़ाकू विमान पर एकदम सटीक मार करने वाले आधुनिकतम मिसाइलों और हवाई बमों का एक पूरा जखीरा ही तैनात है।
इनमें हवा से हवा में मार करने वाले मिसाइल इस प्रकार के हैं :
आर-27एआर1 (कुल 8 मिसाइल); आर-27एटी1 और आर-27एपी1 (4- 4 मिसाइल); आर वीवी-एई (कुल 12 मिसाइल, जिनमें विमान की बॉडी के नीचे चार मिसाइल लादने के लिए बना हैंगर भी शामिल है); निकट युद्ध में काम आने वाले रॉकेट आर-7 जेड ए (6 मिसाइल)हवा से ज़मीन पर मार करने वाले वर्ग के संचालित हथियारों में निम्न हथियार इस विमान पर तैनात हैं :
6 सामरिक मिसाइल एक्स-29टीई या एक्स-29एल; 6 पोतनाशक और राडारनाशक मिसाइल एक्स -31ए या एक्स-31पी; 5 सुदूर मार करने वाले नए पोतनाशक मिसाइल एक्स-59एमके, और नए मिसाइल : 5 बढ़ी हुई दूरी वाले राडारनाशक मिसाइल एक्स-58यूएसएचए, 3 सुदूर मार करने वाले ’कैलीबर-ए’ क़िस्म के मिसाइल; और 1 ’याख़ोन्ता’ क़िस्म का सुदूर मार करने वाला भारी पोतनाशक मिसाइलइनके अलावा एसयू-35 पर निम्नलिखित निर्देशित हवाई बम भी तैनात किए जा सकते हैं :
8 की संख्या तक निर्देशित और टीवी स्वनिर्देशित हवाई बम केएबी -500 केआर और नवीनतम उपग्रह-निर्देशित केएबी-500एस-ए बम; और इसके साथ-साथ टीवी निर्देशित या लाजेर निर्देशित 1500 किलोग्राम कैलीबर के केएबी-1500केआर या केएबी -1500 एलजी बमरूस के रक्षा आयुध उपमन्त्री यूरी बरीसफ़ के अनुसार, पाँचवी पीढ़ी के टी-50 विमान में एसयू-35 विमान के इंजन के मुक़ाबले अधिक ताक़तवर इंजन लगा होगा, जिसके इन दिनों परीक्षण किए जा रहे हैं।
यह नया इंजन पाँचवी पीढ़ी के विमान के लिए ज़रूरी उस तकनीक से लैस होगा, जब विमान की गति अचानक बढ़ाकर आवाज़ की गति से भी ज़्यादा कर दी जाती है यानी विमान सुपरसोनिक गति से उड़ान भरने लगता है। अभी तक बनाए गए सभी लड़ाकू विमान सिर्फ़ कुछ ही देर तक इस अचानक बढ़ी हुई सुपरसोनिक गति का इस्तेमाल कर पाते हैं। टी-50 विमान का इंजन ऐसा होगा कि उसकी गति को बढ़ाकर सुपरसोनिक गति करने के बाद वह लगातार सुपरसोनिक गति पर ही चलेगा।
बाद में एसयू-35 में भी यह नया इंजन लगाया जाएगा, जो इस विमान को युद्ध की दृष्टि से और ज़्यादा आधुनिक बना देगा तथा यह विमान और ज़्यादा पैंतरेबाज़ी करने में दक्ष हो जाएगा।
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